SWIGGY – जाने श्रीहर्षा मजेटी की Success and Motivational Story

Swiggy - shree harhsa majeti successful story

“उतार-चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं, पर ज़िन्दगी की इस दौड़ में कुछ लोग अपना पूरा जीवन यह सोचकर व्यतीत करते हैं कि जीवन में कैसे सफलता पा सकते हैं, लेकिन कभी भी उनको इसका पता नहीं चलता। जब एक सफल जीवन जीने की बात आती है, तो हर कोई इसके बारे में जानना चाहता है। कोई भी साधारण जीवन नहीं जीना चाहता, हर कोई सफल होना चाहता है। तो आपकी अच्छी जानकारी के लिए हम आपको बता देते है कि आज के जीवन में वही सफलता पा सकता है जो अपनी छोटी-बड़ी गलतियों से ही कुछ न कुछ सीखता है। और आज हम बात करेंगे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में। जो स्विग्गी के संस्थापक और सी ई ओ, श्रीहर्षा मजेटी है।और हम सब ने शायद ही कभी इनका नाम सुना होगा लेकिन इन्होंने हम सब के जीवन में जो योगदान दिया है वह किसी से भी अज्ञात नहीं हैं। श्रीहर्षा मजेटी के पिता का विजयवाड़ा में भोजनालय है और माता जी डॉक्टर है। तो इससे हम ये आसानी से कह सकते है की श्रीहर्षा मजेटी एक व्यवसायी परिवार से संबंध रखते है।

श्रीहर्षा मजेटी की शिक्षा

श्रीहर्षा मजेटी ने अपनी इंजीनियरिंग बिट्स पिलानी से करी। पढ़ाई ख़त्म होने के बाद ये एक साल तक बस ऐसे ही अपनी किस्मत आजमाते रहे। और उसके बाद इन्होने मैनेजमेंट की पढ़ाई का निर्णय लिया और साथ ही इन्होने आई आई एम कलकत्ता में मैनेजमेंट की पढ़ाई को अच्छे से किया। श्रीहर्षा मजेटी शुरू से ही घूमने फिरने में काफी रूचि रखते थे। और इनकी इसी रूचि की वजह से इन्होने काफी कुछ सीखा और इससे इनको व्यावसायिक ज़िन्दगी में भी मदद मि

श्रीहर्षा मजेटी की नौकरी और व्यवसाय की शुरुआत

2007 में श्रीहर्षा मेजेटी ने लंदन में एक निवेश बैंकर के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, वह फिर से उत्साह बढ़ाने के लिए भारत लौट आए और उन्होंने यहां तेजी से बढ़ता भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग देखा तो उसके बाद इन्होने एक ऐसे ही अपना स्टार्टअप करने का फैसला किया।। वह अपने कॉलेज के साथी नंदन रेड्डी के साथ जुड़ गए, और उन्होंने संभावित स्थानों पर चर्चा शुरू कर दी, जहाँ वे स्टार्ट-अप कर सकते थे, और बाद में इन्होने एक वितरण एवं लदान सॉफ्टवेयर जानी Bundl – एक कूरियर सेवा एग्रीगेटर शुरू किया।

चुनौतियों पर की जीत हासिल

जैसे कि हम सब जानते है की कोई भी किसी नए काम को करने के लिए रिस्क नहीं उठाता। और ऐसा ही कुछ श्रीहर्षा मजेटी के साथ भी हुआ। जी हाँ जब श्रीहर्षा मजेटी को पता चला की इस टाइम हर विक्रेता के लिए उसकी सबसे बड़ी चुनौती वितरण है तो उन्होंने इस चीज को मुनकिन करना चाहा पर उस समय उनको उसके किसी मित्र से सहायता नहीं मिली क्योंकि कोई भी ऐसा जोखिम उठाने को तैयार नहीं था। और जब तक इसके लिए वो पूरी तरह से सॉफ्टवेयर तैयार करते तब तक तो सब विक्रेता के पास वितरण सॉफ्टवेयर आ जाता। और ऐसे ही उनका बंडल सॉफ्टवेयर एक साल के अंदर- अंदर बंद हो गया। और इतना सब होने के बाद भी श्रीहर्षा मजेटी ने हार ना मानते हुए आगे अपनी सोच को बदल के कुछ अच्छा सोचा और उनको ये चीज ज्ञात हो गयी की आज कल के लोग घर बैठे सुविधा पाना चाहते है, चाहे वो उनको कही जाना हो और या फिर कुछ मंगवाना हो। इसी सोच के जरिये श्रीहर्षा मजेटी ने स्विग्गी – Swiggy की स्थापना की जो आज काफी फेमस है और लोग इसका काफी लाभ भी उठाते है।

स्विग्गी बना स्टार्ट अप

ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप बनाने का सपना अगस्त 2014 में श्रीहर्षा मजेटी, नंदन रेड्डी और राहुल जैमिनी के लिए शुरू हुआ। अपने पिछले उपक्रमों में असफल होने के बाद, इस बार उन्होंने एक ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी के साथ अपनी किस्मत आजमाई। स्विगी के लिए शुरुआत आसान नहीं थी, पर फिर भी मेहनत के जरिये इन्होने सफलता पाई। स्विगी ने भारत में काम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली खाद्य डिलीवरी सेवाओं को बदल दिया। उद्योग बदलने के दौरान, यह भारत का सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्टअप भी बन गया। यह 4 वर्षों में गेंडा मूल्यांकन को पार कर गया। और आज कल ये लोगो का काफी मनपसंद सॉफ्टवेयर बन चुका है। लोग घर बैठे इस सॉफ्टवेयर के जरिये अपना मनपसंद खाना मंगवाते है। और इसके 5000000 से भी अधिक उपभोक्ता है और इससे ये हर घर- घर में जाना जाता है। हम यह भी नहीं भूल सकते की स्विगी ने ना तो केबल हमे सहुलता दी बल्कि कई बेरोजगारों को रोजगार भी दिया और अब भारत में कुल 13 राज्यों में इसका काम चल रहा है और ख़ास बात तो जानने वाली ये है की इतनी सफलता स्विग्गी को जल्द नहीं मिली बल्कि उन्होंने काफी मेहनत की और काफी मुश्किलें उनके सामने आयी और उन सबको पार करके ये सफलता का मार्ग मिला। तो जाहिर सी बात है कि अगर सफलता पानी हो तो अपनी गलतियों से सीखे और उनको बार- बार ना दोहराकर उन पर ध्यान दे और देखना आपके सामने सफलता के दरवाजे अपने आप खुल जायेगे। श्रीहर्षा मजेटी का भी कुछ ऐसा ही कहना है की अपनी गलतियों पर ज्यादा विचार ना करके उनसे सीखो और आगे बढ़ो।